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ग्रामीण भारत में AI शिक्षा: Gaon में Digital Learning की क्रांति 2025

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बच्चों की कलरव से गूँजती एक छोटी सी कक्षा  टूटी-फूटी बेंचें खस्ताहाल ब्लैकबोर्ड पर चॉक से लिखे हुए अक्षर और एक शिक्षक जो अपने सीमित संसाधनों के बावजूद बच्चों के भविष्य की नींव रखने में जुटे हैं। यह है भारत के गाँवों में शिक्षा की आम तस्वीर। लेकिन अब, इसी तस्वीर में एक नया रंग भरा जा रहा है। एक ऐसा रंग जो चॉक की धूल की जगह डिजिटल स्क्रीन की चमक लेकर आया है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं Artificial Intelligence यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता की। वही AI जिसे हम अब तक बड़े-बड़े शहरों, टेक कंपनियों और साइंस फिक्शन फिल्मों तक सीमित समझते थे, अब वह धीरे-धीरे हमारे गाँवों की कक्षाओं तक पहुँच रहा है। यह कोई सपना नहीं, बल्कि एक सुंदर हकीकत है जो गाँव-गाँव में बदलाव की एक नई इबारत लिख रही है। आइए, आज आपको ले चलते हैं एक ऐसी ही यात्रा पर, जहाँ हम जानेंगे कि कैसे AI शिक्षा की इस डिजिटल क्रांति ने ग्रामीण भारत की दहलीज पर दस्तक दी है


               डिजिटल शिक्षा से बदलता ग्रामीण स्कूल – शिक्षक और बच्चे टैबलेट पर सौरमंडल सीखते हुए।

ग्रामीण भारत में शिक्षा: वर्तमान हालात और बड़ी चुनौतियाँ

ग्रामीण भारत की शिक्षा व्यवस्था की बात करें तो सबसे पहले हमें उन चुनौतियों को समझना होगा, जिनका सामना एक ग्रामीण शिक्षक और एक ग्रामीण छात्र रोज करते हैं।

       शिक्षकों की कमी: अक्सर एक ही शिक्षक कई कक्षाओं को पढ़ाता है, जिससे किसी एक क्लास पर पर्याप्त ध्यान देना मुश्किल हो जाता है।

       संसाधनों का अभाव: पुस्तकालयों में नई किताबों की कमी, साइंस लैब का न होना, और शैक्षणिक सामग्री का सीमित होना एक बड़ी समस्या है।

       बुनियादी ढाँचे की समस्या: कई स्कूलों में बिजली, शौचालय और पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाएँ भी ठीक से नहीं हैं।

       अंग्रेजी और टेक्नोलॉजी का डर: अंग्रेजी भाषा और नई टेक्नोलॉजी के प्रति एक अजीब सा डर और झिझक बच्चों और शिक्षकों दोनों में ही देखने को मिलती है।

       रटने की प्रवृत्ति: शिक्षा का मकसद सिर्फ परीक्षा पास करना रह गया है, जिससे बच्चों में तार्किक सोच और क्रिटिकल थिंकिंग का विकास नहीं हो पाता।

इन सभी चुनौतियों के बीच, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच एक सपना बनकर रह गई थी। लेकिन डिजिटल इंडिया का सपना और AI जैसी तकनीकें इन्हीं चुनौतियों का समाधान लेकर आई हैं।

AI शिक्षा क्या है? और यह ग्रामीण भारत के लिए क्यों है जरूरी?

AI शिक्षा या Artificial Intelligence in Education का मतलब है ऐसी स्मार्ट तकनीकों का इस्तेमाल करना जो मशीनों को मनुष्यों की तरह सीखने, सोचने और फैसले लेने की क्षमता देती हैं, ताकि शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया को बेहतर बनाया जा सके।

यह सिर्फ कंप्यूटर चलाना सीखना नहीं है। बल्कि, यह एक ऐसा टूल है जो:

       पर्सनलाइज्ड लर्निंग (व्यक्तिगत शिक्षा): हर बच्चे की सीखने की गति और style अलग होती है। AI उसके हिसाब से उसे पढ़ाता है।

       ऑटोमेशन: शिक्षकों का कीमती समय जो रिपोर्ट बनाने, होमवर्क चेक करने में जाता है, AI उसे बचाता है।

       इंटरएक्टिव लर्निंग: बच्चे animations, videos और games के जरिए पढ़ते हैं, जिससे उनका मन लगा रहता है।

ग्रामीण भारत के लिए AI क्यों जरूरी है?

इसका सीधा सा जवाब है - "बराबरी का अवसर"। AI शहरी और ग्रामीण शिक्षा के बीच की खाई को पाट सकता है। एक गाँव का बच्चा भी अब वही advanced educational content access कर सकता है, जो एक महानगर के प्राइवेट स्कूल का छात्र access करता है। AI, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को स्केलेबल और affordable बनाता है।

भारत में AI-Powered पहल: कोरे सपने नहीं, जमीनी हकीकत

यह कोरी कल्पना नहीं है। देश के अलग-अलग कोनों में AI शिक्षा की नींव रखी जा चुकी है और उसके शानदार नतीजे भी सामने आ रहे हैं।

       महाराष्ट्र की पहली AI आंगनवाड़ी: महाराष्ट्र के कुछ आंगनवाड़ी केंद्रों में अब बच्चों को पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ डिजिटल तरीके से भी पढ़ाया जा रहा है। यहाँ बच्चे टैबलेट और स्मार्टफोन के जरिए शैक्षणिक games खेलते हैं, interactive कहानियाँ सुनते हैं। इससे न सिर्फ उनकी पढ़ाई में रुचि बढ़ी है, बल्कि उनकी cognitive skills (सोचने-समझने की क्षमता) का भी तेजी से विकास हो रहा है। यह एक बहुत बड़ा कदम है, क्योंकि शिक्षा की नींव आंगनवाड़ी से ही तैयार होती है।

       आंध्र प्रदेश और तेलंगाना: यहाँ की सरकार ने स्टूडेंट्स के परफॉर्मेंस को ट्रैक करने के लिए AI-Powered Predictive Analytics के इस्तेमाल पर जोर दिया है। इस system के जरिए यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि कौन-सा छात्र पढ़ाई में पिछड़ रहा है, ताकि उस पर विशेष ध्यान दिया जा सके।

       बिहार और झारखंड के प्रयोग: इन राज्यों के कई दूरदराज के इलाकों में, जहाँ शिक्षकों की भारी कमी है, वहाँ AI-Powered Chatbots और Digital Tutors का इस्तेमाल किया जा रहा है। बच्चे एक मोबाइल ऐप के जरिए अपने सवाल पूछते हैं और AI चैटबॉट तुरंत उनके जवाब दे देता है। यह ऐसा ही है जैसे हर बच्चे के पास उसका personal tutor हो।

       केरल का मॉडल: केरल ने AI और robotics को अपने स्कूली curriculum में शामिल करने का ऐलान किया है। यहाँ के स्कूलों में AI basics को एक subject की तरह पढ़ाया जा रहा है, ताकि बच्चे भविष्य की टेक्नोलॉजी के लिए तैयार हो सकें।

सरकारी नीतियाँ: वह मजबूत आधार जो AI क्रांति को सम्भव बना रहा है

इन सभी पहलों के पीछे केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों का बहुत बड़ा हाथ है।

       राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020): यह नीति भारत की शिक्षा व्यवस्था में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली है। NEP 2020 में डिजिटल लर्निंग, कोडिंग, और AI एजुकेशन पर विशेष जोर दिया गया है। इस नीति का लक्ष्य है कि हर बच्चा टेक्नोलॉजी का जानकार बने। यह नीति स्कूलों और कॉलेजों में AI को एक integrated part बनाने की बात करती है।

       डिजिटल इंडिया मिशन: इस मिशन का सीधा सा उद्देश्य था - देश को डिजिटल रूप से सशक्त बनाना। इसके तहत गाँव-गाँव में optical fiber network बिछाया गया, internet connectivity बढ़ाई गई। यही infrastructure अब AI एजुकेशन की रीढ़ की हड्डी बन रहा है। बिना इंटरनेट के, AI tools का कोई मतलब नहीं है।

       AI फॉर ऑल मिशन: इस initiative को शुरू करने का मकसद ही है भारत में हर नागरिक को AI के बारे में बुनियादी जानकारी देना। इसके तहत ऑनलाइन courses, workshops और training programs आयोजित किए जाते हैं, जो स्कूल के छात्रों से लेकर professionals तक, सभी के लिए हैं।

AI एजुकेशन टूल्स: गाँव की कक्षाओं में पहुँचती आधुनिक तकनिकी

ये हैं वो जादुई tools जो AI को गाँव के बच्चों के लिए एक रोमांचक अनुभव बना रहे हैं:

1.      स्मार्ट बोर्ड और डिजिटल स्क्रीन: अब काले बोर्ड की जगह interactive whiteboards ने ले ली है। इन पर teacher पूरे chapter को animated videos और 3D models के जरिए समझा सकते हैं। एक बार imagine कीजिए, इतिहास की कक्षा में सिंधु घाटी सभ्यता का virtual tour हो रहा है, या science की कक्षा में human heart की 3D structure देखकर बच्चे उसे समझ रहे हैं।

2.      वर्चुअल रियलिटी (VR) और ऑगमेंटेड रियलिटी (AR): यह सबसे exciting tool है। VR headset पहनकर एक बच्चा महासागर की गहराइयों में घूम सकता है, चाँद की सतह पर कदम रख सकता है। AR के जरिए एक साधारण किताब से भी 3D objects उभरकर सामने आ जाते हैं। यह practical learning को एक नए लेवल पर ले जाता है।

3.      लर्निंग मोबाइल ऐप्स: ऐसे ऐप्स, जो AI का इस्तेमाल करते हैं, ग्रामीण इलाकों में क्रांति ला रहे हैं। ऐप्स जैसे BYJU'S, Doubtnut, Khan Academy Hindi बच्चों को उनकी mother tongue में पढ़ाते हैं। Doubtnut जैसे ऐप की खासियत है कि बच्चे किसी भी सवाल का फोटो खींचकर अपलोड करते हैं और ऐप तुरंत उसका video solution दिखा देता है।

4.      AI चैटबॉट्स और डिजिटल असिस्टेंट्स: ये ऐसे डिजिटल शिक्षक हैं जो 24x7 available रहते हैं। बच्चे रात में भी अपना homework करते वक्त किसी doubt को clear कर सकते हैं। यह उन गाँवों के लिए वरदान है जहाँ ट्यूशन टीचर या कोचिंग सेंटर का कोई चलन नहीं है।

ग्रामीण शिक्षा में AI के लाभ: एक सुनहरे भविष्य की ओर कदम

AI के इन प्रयोगों से ग्रामीण शिक्षा को कई अनगिनत फायदे मिल रहे हैं:

       शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार: बच्चे अब रट्टा मारने की बजाय concepts को visually समझ पा रहे हैं।

       हर जगह, हर समय शिक्षा की उपलब्धता (Accessibility): एक smartphone और internet connection होने से, पहाड़ों और दूरदराज के गाँवों में बैठा बच्चा भी दुनिया की best शिक्षा प्राप्त कर सकता है।

       बच्चों की engagement बढ़ना: games और interactive content की वजह से बच्चों का पढ़ाई में मन लगता है और school drop-out की दर में कमी आएगी।

       शिक्षकों का बोझ कम होना: AI, administrative work को automate करके teacher को ज्यादा time बच्चों को पढ़ाने के लिए देता है।

       भाषा की बाधा दूर होना: AI-powered translation tools की मदद से अंग्रेजी की किताबें भी हिंदी या स्थानीय भाषा में पढ़ी जा सकती हैं।

चुनौतियाँ: रास्ते में आने वाली रुकावटें

हालाँकि यह सफर बिल्कुल आसान नहीं है। AI को ग्रामीण भारत में पूरी तरह से लागू करने में कई चुनौतियाँ हैं:

       बुनियादी ढाँचे की कमी: अभी भी कई गाँवों में बिजली की समस्या बनी रहती है और internet की स्पीड बहुत धीमी है।

       इंटरनेट की पहुँच: हालाँकि स्थिति में सुधार हो रहा है, लेकिन अभी भी देश के हर कोने में high-speed internet नहीं पहुँच पाया है।

       लागत (Cost): Smartphones, tablets, VR equipment महँगे हैं। सरकारी स्कूलों के लिए इन्हें खरीदना और उनका रखरखाव करना एक बड़ी चुनौती है।

       शिक्षकों का प्रशिक्षण: नई टेक्नोलॉजी के साथ comfortable होने के लिए teachers को special training की जरूरत होती है। उन्हें AI tools का इस्तेमाल करना सिखाना जरूरी है।

       डिजिटल साक्षरता का अभाव: ग्रामीण इलाकों में अभिभावकों और यहाँ तक कि कुछ शिक्षकों में भी टेक्नोलॉजी को लेकर एक डर बना रहता है। उन्हें लगता है कि यह complex है और बच्चों का ध्यान भटकाएगी।

भविष्य के अवसर: आने वाले कल की अनंत संभावनाएँ

इन चुनौतियों के बावजूद, भविष्य बेहद उज्ज्वल है। AI ग्रामीण शिक्षा के लिए कई नए दरवाजे खोल रहा है:

       AI-Based Career Guidance: AI सिस्टम बच्चों की रुचि और प्रदर्शन का विश्लेषण करके उन्हें भविष्य में कौन-सा career चुनना चाहिए, इस बारे में सलाह दे सकता है। एक गाँव का बच्चा भी data scientist, robotics engineer, या AI specialist बनने का सपना देख सकता है।

       मेटावर्स क्लासरूम: भविष्य में, गाँव के बच्चे metaverse के virtual classrooms में दुनिया के best teachers से सीधे जुड़कर पढ़ सकेंगे। ऐसा लगेगा जैसे वे असली कक्षा में बैठे हैं।

       कोडिंग और रोबोटिक्स: ग्रामीण स्कूलों में भी coding और robotics की labs बन सकती हैं। छोटी उम्र से ही बच्चे technology के creator बनना सीखेंगे, सिर्फ user नहीं।

       Smart Content Creation: AI ऐसी educational content बना सकता है जो स्थानीय संस्कृति, स्थानीय उदाहरणों और स्थानीय भाषाओं में हो। इससे बच्चों को पढ़ाई और भी relatable लगेगी।

अभिभावकों और शिक्षकों की भूमिका: बदलाव के साथी

इस डिजिटल क्रांति में teachers और parents की भूमिका और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है।

       शिक्षक (Teachers): अब teacher का role सिर्फ जानकारी देना नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक (Guide) और मोटिवेटर का है। उन्हें बच्चों को technology के सही इस्तेमाल के लिए प्रेरित करना है और उनकी creativity को बढ़ावा देना है। उन्हें खुद भी नई चीजें सीखने के लिए तैयार रहना होगा।

       अभिभावक (Parents): माता-पिता को भी बच्चों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना होगा। उन्हें technology से डरना नहीं, बल्कि उसे समझना होगा। बच्चों को smartphone देकर छोड़ देने के बजाय, वे यह देख सकते हैं कि बच्चा उस पर क्या सीख रहा है। उनका सपोर्ट और encouragement बच्चे के लिए बहुत जरूरी है।

सफलता की कहानियाँ: जमीन से जुड़े Case Studies

1.      छत्तीसगढ़ का एक गाँव: राजनंदगाँव जिले के एक सरकारी स्कूल में AI-based learning app का इस्तेमाल शुरू किया गया। कुछ ही महीनों में, बच्चों की गणित और अंग्रेजी में average score में 25% का सुधार देखा गया। बच्चे अब खुद से ऐप पर पढ़ने के लिए उत्सुक रहते हैं।

2.      तमिलनाडु का अनुभव: एक NGO ने state government के साथ मिलकर rural schools में VR headsets लगवाए। इन headsets के जरिए बच्चों को history और geography के lessons दिए गए। teachers ने बताया कि जिन chapters को बच्चे पहले भूल जाते थे, VR experience के बाद वे उन्हें लंबे समय तक याद रख पा रहे हैं।

3.      उत्तर प्रदेश के आँगन में AI: मथुरा जिले की एक आंगनवाड़ी में बच्चों को बोलना सिखाने के लिए एक AI ऐप का use किया जा रहा है। ऐप बच्चों के उच्चारण को सुनता है और अगर वह गलत है तो उसे सही करके बताता है। इससे बच्चों का communication skill develop हो रहा है।

निष्कर्ष: एक नई उषा का सूर्योदय

ग्रामीण भारत में AI की इस शुरुआत को देखकर लगता है कि यह कोई सामान्य बदलाव नहीं, बल्कि एक क्रांति है। यह क्रांति सिर्फ शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गाँवों के सामाजिक-आर्थिक ढाँचे को बदलने की ताकत रखती है। आज का गाँव का बच्चा अगर AI, coding और robotics सीख रहा है, तो इसका मतलब है कि कल का भारत दुनिया की technology leadership की दौड़ में कहीं आगे होगा।

यह सफर चुनौतियों से भरा है, लेकिन असंभव नहीं। सरकार, NGOs, private companies और local communities मिलकर काम कर रहे हैं। हर दिन, एक नया innovation हो रहा है, एक नया स्कूल डिजिटल दुनिया से जुड़ रहा है। यह सही मायनों में एक डिजिटल क्रांति है जो गाँव की कक्षाओं तक पहुँच रही है और हर बच्चे के सपनों को नई उड़ान दे रही है। आइए, हम सब मिलकर इस क्रांति का हिस्सा बनें और भारत के हर गाँव को शिक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में अपना योगदान दें।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. क्या AI शिक्षा महँगी है और क्या ग्रामीण स्कूल इसे वहन कर पाएँगे?
जी, शुरुआती लागत जरूर अधिक है, लेकिन सरकारी योजनाओं, CSR initiatives और low-cost solutions की मदद से इसे affordable बनाया जा रहा है। जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी सस्ती होगी, यह और भी आसान होता जाएगा।

2. क्या AI शिक्षकों की जगह ले लेगा?
बिल्कुल नहीं। AI शिक्षकों की जगह नहीं, बल्कि उनकी efficiency बढ़ाने का एक टूल है। बच्चों के सामाजिक और भावनात्मक विकास के लिए एक मानव शिक्षक का होना हमेशा जरूरी रहेगा।

3. ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की slow speed की समस्या का समाधान क्या है?
इसके लिए ऑफलाइन मोड वाले ऐप्स और software develop किए जा रहे हैं। जहाँ इंटरनेट नहीं है, वहाँ content को पहले से डाउनलोड करके रखा जा सकता है और बाद में उसे देखा जा सकता है।

4. क्या छोटी कक्षाओं के बच्चों के लिए AI उपयोगी है?
हाँ, बिल्कुल। छोटे बच्चों के लिए AI-based educational games, interactive stories, और drawing apps बहुत helpful होती हैं। यह उनकी basic concepts को clear करने और creativity बढ़ाने में मदद करती हैं।

5. एक सामान्य ग्रामीण अभिभावक AI शिक्षा में कैसे योगदान दे सकता है?
अभिभावक बच्चे को smartphone का सही इस्तेमाल करना सिखा सकते हैं, उनके साथ बैठकर educational videos देख सकते हैं और उनकी curiosity को encourage कर सकते हैं। उनका साथ और encouragement सबसे बड़ा योगदान है।

6. AI शिक्षा से ग्रामीण बच्चों के लिए रोजगार के क्या अवसर पैदा होंगे?
AI की बुनियादी शिक्षा मिलने से बच्चे भविष्य में Data Analyst, AI Specialist, Software Developer, Digital Marketer जैसे fields में अपना career बना सकेंगे। यह उन्हें global job market के लिए तैयार करेगा।

7. क्या AI शिक्षा सिर्फ साइंस और maths तक ही सीमित है?
नहीं, AI का इस्तेमाल हिंदी, इतिहास, कला, संगीत जैसे हर subject को पढ़ाने और समझाने के लिए किया जा सकता है। AI tools की मदद से कोई भी subject interesting और interactive बनाया जा सकता है।

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